1921 मूवी रिव्यू
1921 मूवी रिव्यू कलाकारकरण कुंद्रा,ज़रीन खान निर्देशक विक्रम भट्ट मूवी टाइपहॉरर अवधि2 घंटा 35 मिनट फिल्म के एक शुरुआती सीन में मिस्टर वाडिया आयुष (करण कुंद्रा) को समझाते हैं कि तुम्हें जो मिल गया उसमें खुश मत हो। कुछ ऐसा ही हाल 1920 फ्रैंचाइज़ी की चौथी फिल्म 1921 के निर्माता और निर्देशक विक्रम भट्ट का भी है। विक्रम की 1920 को पसंद किया गया था, लेकिन वह उससे खुश नहीं हुए और इस सीरीज की चौथी फिल्म तक आ गए। फिर भले ही इसके लिए उन्हें बेसिर-पैर की कहानी पर फिल्म बनानी पड़ी। फिल्म आयुष की कहानी है, जो कि एक पियानो आर्टिस्ट है। जैसा कि नाम से ही पता लग रहा है कि फिल्म 1921 की कहानी है। मिस्टर वाडिया आयुष को अपने ब्रिटेन स्थित घर का केयरटेकर बना कर भेजते हैं। वहां आकर आयुष के साथ उस मकान में कुछ अजीब घटनाएं होती हैं। उनसे छुटकारा पाने के लिए आयुष, रोज़ (जरीन खान) से मिलता है, जो कि एक अनाथ लड़की है और आयुष की फैन भी। रोज़ रूहों को देख सकती है। आयुष को चाहने की वजह से रोज़ उसकी मदद करने का फैसला करती है। उसके बाद कुछ ऐसा होता है कि चीज़ें आयुष और रोज़ दोनों की ज़िन्दगी पर हावी हो जाती...